अनुभूति में
कुमार दिनेश प्रियमन
की रचनाएँ-
गीतों में-
जब तक अपने
स्वप्न रहेंगे
नई सुबह के उगते सूरज
नदी की मछलियाँ हैं
हम मानव बम बन बैठे |
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नई सुबह के उगते
सूरज
हम नयी सुबह के
उगते सूरज हैं
आओ ! प्रभात के गीत साथ गाएँ।
अँधियारों की मुँडेर पर उग जायें
हम जीवन-संघर्षों के
आदी हैं, पथ की बाधाओं से
न कभी रुकते
हम नयी सुबह के
लाल उजाले हैं काली रातों को
चीर-चीर बढ़ते
फिर उजियारों के रंग
भर देते हैं,
आओ! प्रकाश के गीत साथ गाएँ।
हम विश्व-चेतना के
जाग्रत प्रहरी आवाहन के
स्वर में गाते गाते
चंदनी गंध के
हम हस्ताक्षर हैं खुशबू के
झोकों से आते जाते
हम जीवनगंधी
सपनों की खुशबू
आओ! सुवास के गीत साथ गाएँ।
५ अगस्त
२०१३
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