अनुभूति में
कुमार दिनेश प्रियमन
की रचनाएँ-
गीतों में-
जब तक अपने
स्वप्न रहेंगे
नई सुबह के उगते सूरज
नदी की मछलियाँ हैं
हम मानव बम बन बैठे |
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जबतक अपने
स्वप्न रहेंगे
जब तक अपने
स्वप्न रहेंगे
स्वप्नों के संघर्ष रहेंगे।
जब तक
फूलों में रंग-खुशबू
जब तक पत्तों में हरियाली
धरती पर जीवन की हलचल
जीवन के होठों
पर लाली
तब तक
स्वप्नों से संघर्षों
वाले अपने छंद रहेंगे।
जब तक अपने स्वप्न रहेंगे
स्वप्नों के संघर्ष रहेंगे।
खेत-खेत
लहराती फसलें
नदी-नदी का बहता पानी
खिलखिलाहटें जब तक जिंदा
और बदन में
भरी जवानी
रचना और
ध्वंस में जारी
युक्त सृजन, स्वच्छंद रहेंगे।
जब तक अपने स्वप्न
रहेंगे
स्वप्नों के संघर्ष रहेंगे।
५ अगस्त
२०१३
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