अनुभूति में
कृष्ण बक्षी
की रचनाएँ-
गीतों में-
कल की तरह
घर के बारे में
पिता हमारे
ये बिजली के तार
सपना |
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पिता हमारे
बेटी बोली- पिता हमारे
रहे ज़िंदगी भर बंजारे
अपनी-अपनी बिछी बिसातें
ज़हर भरे दिल मीठी बातें।
रहे देखते सब चालाकी
कोई बचा न-शायद बाक़ी।
बेटी बोली- पिता हमारे
समझ गये कि उलझे सारे
काशी घूमे मथुरा आये
अर्थ धर्म के ये समझाये।
दिया मंच से ये ही नारा
प्रेम, दया और भाईचारा।
बेटी बोली- पिता हमारे
घूमे सबके, द्वारे-द्वारे
सोने वाले जाग न पाये
धूप भले, कितनी चढ़ आये।
हर दरवाज़े, अलख जगाई
सब की साँकल तक खड़काई।
बेटी बोली- पिता हमारे
चिल्लाये, जैसे हरकारे
१ मई २०१७ |