अनुभूति में
कृष्ण बक्षी
की रचनाएँ-
गीतों में-
कल की तरह
घर के बारे में
पिता हमारे
ये बिजली के तार
सपना |
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कल की तरह
कल की तरह
आज का भी दिन-
काट दिया हमने।
जगह-जगह पर हँसी ख़ुशी का
ही बलिदान हुआ।
ख़ुद को ज़िन्दा रखने में
काफ़ी- नुक़सान हुआ।
सौ-सौ हिस्से में अपने को-
बाँट दिया हमने।
उसे नहीं मालूम हाथ हैं
श्रम से- लिपे-पुते।
वो क्या जाने बापू कितना
ताबड़- तोड़- जुते।
इसी बात पर फिर छोटू को-
डाँट दिया हमने।
१ मई २०१७ |