अनुभूति में
किशन सरोज की रचनाएँ-
गीतों में-
कसमसाई देह
तुम निश्चिन्त रहना
नदिया किनारे
नींद सुख की
बड़ा आश्चर्य है
बाँह फैलाए
खड़े
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कसमसाई देह
कसमसाई देह फिर चढ़ती नदी की
देखिए तटबंध कितने दिन चले
मोह में अपनी मंगेतर के
समंदर बन गया बादल
सीढियाँ वीरान मंदिर की
लगा चढ़ने घुमड़ता जल
काँपता है धार से लिप्त हुआ पुल
देखिए सम्बन्ध कितने दिन चले
फिर हवा सहला गई माथा
हुआ फिर बावला पीपल
वक्ष से लग घाट के रोई
सुबह तक नाव हो पागल
डबडबाए दो नयन फिर प्रार्थना के
देखिए सौगंध कितने दिन चले
२५ नवंबर २०१३
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