अनुभूति में
डॉ कीर्ति
काले
की रचनाएँ-
गीतों में-
खुशबुओं के ज्वार
पहले पहले प्यार में
मखमली स्वेटर
मनचाहा इतवार
हिरनीला मन
|
|
मनचाहा इतवार
कई दिनों के बाद मिला है मनचाहा इतवार
भोर हुई सूरज ने अलसाई आँखे खोलीं
उठ भी जाओ मेमसाब कुछ इतराकर बोलीं
गर्म चाय के साथ रखा है टेबल पर अख़बार
नहीं चलेगा आज घड़ी की सुईयों का आदेश
रानी जी धोऐंगी पूरे आधा घण्टा केश
गुड़िया बैठेगी सोफे पर अल्ती-पल्ती मार
कई दिनों के बाद साथ में खाना खाऐंगें
खट्टी-मीठी बातों को हँसकर दोहराऐंगे
गुड्डू को कर लेगें पूरे सात दिनों का प्यार
कल से होगी वो ही झंझंट बस की रेलमपेल
घर से दफ्तर, दफ्तर से घर दौड़भाग का खेल
इसीलिए छुट्टी लगती है दिल्ली में त्योहार
२८ फरवरी २०११
|