अनुभूति में
डॉ कीर्ति
काले
की रचनाएँ-
गीतों में-
खुशबुओं के ज्वार
पहले पहले प्यार में
मखमली स्वेटर
मनचाहा इतवार
हिरनीला मन
|
|
मखमली स्वेटर
उड़ चला है दिन लगाए धूप वाले पर
याद फिर बुनने लगी है मखमली स्वेटर
गुदगुदी करने लगीं जब से गुलाबी सर्दियाँ
नाचती हैं अनमनी होकर तभी से उँगलियाँ
गुनगुने दो नर्म गोले ऊन के लेकर
एक उल्टा एक सीधा और उसके बाद
हर सलाई ने बुनी है एक मीठी याद
नींद के हाथों सुनहरा झुनझुना देकर
धीरे-धीरे घट रहे हैं रात के फन्दे
पोरूओं ने छू लिए दिनमान के कन्धे
आँख में आकाश के सारे सितारे भर
२८ फरवरी २०११
|