अनुभूति में
डॉ कीर्ति
काले
की रचनाएँ-
गीतों में-
खुशबुओं के ज्वार
पहले पहले प्यार में
मखमली स्वेटर
मनचाहा इतवार
हिरनीला मन
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हिरनीला मन
बौराया हिरनीला मन,
फिरता है जंगल- जंगल
सूखे में खोज रहा हरियाली घास
कजरारे बादल से मांगता उजास
पगले को बालू में दिखता है जल
छलती है बार- बार कस्तूरी गन्ध
अपनी ही मस्ती में झूमे निर्बन्ध
सूरज को छूता है पंजो के बल
आखों में उभराई मतवाली भंग
पोर-पोर मुरकी ले पुरवा के संग
रोके से रूकता न बैरी चंचल
२८ फरवरी २०११
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