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अनुभूति में केतन यादव की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ बोल दो ना
केवल राह तुम्हारी
ख्वाब सारे आसमानी

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में 
वेदना के इन क्षणों में

 

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में 

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में
जिजीविषा केवल तुम्हीं हो

दीप मेरे साधना के जल रहे प्रतिपल निरंतर
और झंझावात मग में खींचते दृग को बवंडर
लौ' बचाते प्राण ढँक कर 
ज्योति में प्रतिपल तुम्हीं हो

जब कभी अस्तित्व के प्रश्नों ने मुझको मूक घेरा 
बँध गई आ संस्मरण में जीवनी लेकर बसेरा 
इस अबूझी चिर पहेली 
का सतत चिर हल तुम्हीं हो  

कामना के कल्पतरू से पर्ण अंतिम हैं समर्पित
जोड़ कर हर कोशिका से अर्चना को भाव अर्पित
इन हृदय  स्पंदनों के 
गीत में अविरल तुम्हीं हो

हूँ स्वयं में द्वैत मैं  अद्वैत हो जाऊँ तुम्हीं में
अश्रु में घुल कर हृदय से तृप्त हो पाऊँ तुम्हीं में
हूँ  तुम्हीं से पूर्ण प्रतिपल
प्राण का शाकल  तुम्हीं हो 

१ दिसंबर २०२२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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