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अनुभूति में केतन यादव की रचनाएँ-

गीतों में-
कुछ बोल दो ना
केवल राह तुम्हारी
ख्वाब सारे आसमानी

मृत्यु के दुष्कर क्षणों में 
वेदना के इन क्षणों में

 

केवल राह तुम्हारी

व्याकुल आँखों ने
देखी है केवल राह तुम्हारी

दूर क्षितिज पर संध्या-सूरज 
मिलन - योग को जोड़ें 
सत्य कल्पना में घुलते हैं
सपने थोड़े - थोड़े 
रातों के सपनों
की करवट में है आह तुम्हारी

सागर को नदियों से मिलने-
की आकुलता जैसे
वर्षा की बूँदों को धरती - 
की व्याकुलता जैसे 
व्यथित थके मन
ने चाही है कबसे छाँव तुम्हारी

पीड़ा का तम मिट पाए 
आशा का दीप जलाए
जीवन के झंझावातों में 
गीत तेरे बस गाए
निकल पड़ा हूँ
तूफानों में लेकर नाव तुम्हारी

१ दिसंबर २०२२

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