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अनुभूति में कौशलेन्द्र की रचनाएँ-

गीतों में-
डूब गए आँखों में
हवा में
हिल उठा हू

 

  डूब गए

डूब गए
आँखों में
उजले दिन डूब गए

भोर की प्रभाती
और शामों की लोरियाँ,
पूनम का चंदा
और दूध की कटोरियाँ
डूब गए
यादों में
वे पल छिन डूब गए
फूलों पर तितली
और भौरों की बोलियाँ,
पेड़ों के साये में
धूप की ठिठोलियाँ,

ऊब गए
इन से अब
अपने मन ऊब गए
गंध मती माटी और
बरखा की बूँदें,
साँसों से खेलें हम
आँखों को यों दें,

डूब गए
साँसों में
गंध-भिन्न डूब गए।

७ दिसंबर २००९

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