अनुभूति में
डॉ. इसाक 'अश्क' की रचनाएँ-
गीतों में-
अलस्सुबह
कंठ का कोहनूर
चुनावी शोर
दिन सुगंधों के
फाल्गुन गाती हुई
धूप दिन
बौर आए
सपनों के घोड़े
संकलन में-
मेरा भारत-
भुवन क्या कहेगा
वासंती हवा-
ऋतु फगुनाई
है
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चुनावी शोर
यह
चुनावी शोर
तो बस
एक नारा झुनझुना है
जो
ग़रीबों को
थमाया जाएगा
भीड़ पर
फिर
आज़माया जाएगा
जाल यह फंदा
चतुर कुछ
ख़ास हाथों ने बुना है
यह चुनावी शोर
तो बस
एक नारा झुनझुना है
बैनरों
कट आउटों में
सज रहा है
हर जगह
जो टेप बनकर बज रहा है,
ध्यान से
सुनना जिसे
बेस्वाद बेलज़्ज़त गुना है
यह चुनावी शोर
तो बस
एक नारा झुनझुना है
२४
दिसंबर २००५
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