अनुभूति में
देवव्रत जोशी की रचनाएँ
गीतों में-
नदी पद्मावती
बादल गरजे
मेघ सलोने
रजधानी की धज
कुंभनदास गए रजधानी
संकलन में-
धूप के पाँव-
धूप वाले दिन
लंबी कविताओं
में-
छगन बा दमामी
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नदी पद्मावती
सूखकर काँटा हुई
है
भील कन्या सी
नदी पद्मावती
ठूँठ से उतरी
चिरैया
चुग रही है रेत
बुन रहा वन एक सन्नाटा
तैरते वातावरण में
संशयों के प्रेत
उबलते जल में
पड़ी है
सोन मछली हाँफती
जिंदगी है
आदि कवि की आँख से
हरती व्यथा
भूमि से हैं आज निर्वासित
जनक जननी आत्मजा
फेंकता है काल अपने जाल
काँपती असहाय सी
बूढ़ी शती
२१ जून २००१
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