अनुभूति में
देवव्रत जोशी की रचनाएँ
गीतों में-
नदी पद्मावती
बादल गरजे
मेघ सलोने
रजधानी की धज
कुंभनदास गए रजधानी
संकलन में-
धूप के पाँव-
धूप वाले दिन
लंबी कविताओं
में-
छगन बा दमामी
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कुंभनदास गए
रजधानी
कुंभनदास
गए रजधानी।
खूब लिखा
औ नाम कमाया
दाम नहीं जीवन में पाया
राजाजी ने
अब बुलवाया
भारी मन, जाने की ठानी
कुंभन पहुँचे
पैयाँ-पैयाँ
देखा चोखा रूप-रुपैया
लेकिन कहाँ
आ गए भैया
यहाँ नहीं मिलता गुड़-धानी
‘धत्तेरे की’
कह कर लौटे
लोग यहाँ के सिक्के खोटे
बिन पैंदे के हैं
सब लोटे
जमना है पर खारा पानी
१५ नवंबर २०१०
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