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अनुभूति में देवव्रत जोशी की रचनाएँ

गीतों में-
नदी पद्मावती
बादल गरजे
मेघ सलोने
रजधानी की धज
कुंभनदास गए रजधानी

संकलन में-
धूप के पाँव- धूप वाले दिन

लंबी कविताओं में-
छगन बा दमामी

 

बादल गरजे

घनन घनन घन बादल गरजे
बिजली चम-चम-चम,
हाथ उठाकर धरती बोली
बरसो जितना दम।

नदिया चढ़ी, सरोवर बोले
भूल किनारों से,
प्यार बढ़ाओ
बात करो इन उच्छल धारों से।
प्रखर चुनौती खड़ी सामने
आँक रही दम खम।

फुनगी चढ़े पात-पात यूँ
करते गुपचुप बात,
इंद्रधनुष की पहन ओढ़नी
निकली है बरसात।
अधगीली मिट्टी में अँखुआ
नाचे छम-छम-छम।

अँगड़ाई ले उठा गाँव
कि अधमुरझाए पेड़,
हवा बावरी वन-वन डोले
रस की मार चपेड़।
झूम झूम कर कहे जिंदगी
जग है, जग से हम।

बूँद-बूँद कर रिसता पानी
मन में अगन भरे
मनभावन की सुधि नैनन में
सौ-सौ रूप धरे।
घन, बरसो पिय के आँगन
पर कहना दुःख कम-कम।

घनन घनन घन बादल गरजे
बिजली चम-चम-चम।

१५ नवंबर २०१०

 

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