अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में चंद्रप्रकाश पांडेय की रचनाएँ-

गीतों में-
आखिर नदी में
ओ पहले बादल
गंगू की छिटनी

लौट लो मौसम बुरा है
वातावरण खटास भरा है

 

वातावरण खटास भरा है

वातावरण खटास भरा है
कब होंगी मीठी दो बातें

लम्बा दिन है बँधा घड़ी से
आपसदारी दफ्तर तक की।
लेकिन बहुत अकेलेपन में
यादें हैं कुंडी सी खटकीं।

कब होंगी सूखे अधरों पर
मुस्कानों से सजी बरातें।

जगह जगह उगती भीड़ों में
मैल मिलावट वाले मन हैं।
दीवारों से दीवारों तक
छिपकलियों जैसा जीवन है।

कब होंगी अरमानों की फिर
वे बादर बादर बरसातें।

२५ अगस्त २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter