अनुभूति में
चंद्रप्रकाश पांडेय
की रचनाएँ-
गीतों में-
आखिर नदी में
ओ पहले बादल
गंगू की छिटनी
लौट लो मौसम बुरा है
वातावरण खटास भरा है
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वातावरण खटास
भरा है
वातावरण खटास भरा है
कब होंगी मीठी दो बातें
लम्बा दिन है बँधा घड़ी से
आपसदारी दफ्तर तक की।
लेकिन बहुत अकेलेपन में
यादें हैं कुंडी सी खटकीं।
कब होंगी सूखे अधरों पर
मुस्कानों से सजी बरातें।
जगह जगह उगती भीड़ों में
मैल मिलावट वाले मन हैं।
दीवारों से दीवारों तक
छिपकलियों जैसा जीवन है।
कब होंगी अरमानों की फिर
वे बादर बादर बरसातें।
२५ अगस्त २०१४
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