अनुभूति में
चंद्रप्रकाश पांडेय
की रचनाएँ-
गीतों में-
आखिर नदी में
ओ पहले बादल
गंगू की छिटनी
लौट लो मौसम बुरा है
वातावरण खटास भरा है
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आखिर नदी में
आखिर नदी में
गिर ही गया दिन
फेनयित होने लगा है
स्याहपन
हलचलें संक्षिप्त हो कर
रह गईं।
तंग कपड़ों में
हवायें
तहगईं।
आखिर नदी में
गिर ही गया दिन
विस्फरित भवितव्य का
हीरक भवन
क्षुब्ध सपनित
बीहड़ों में रेंगना
देह उखड़ी
बिस्तर पर जोड़ना,
आखिर नदी में
गिर ही गया दिन
झूठ के
संभाव्य का वातावरण
२५ अगस्त २०१४
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