अनुभूति में
अनुराग तिवारी की कविताएँ-
गीतों में-
आखिर मुझे कहाँ जाना है
दिल्ली में है सत्ता बदली
धूप
बचपन
मैं निडर हूँ
संकलन में-
सूरज-
सूरज खेले आँख मिचौनी
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मैं निडर हूँ
मैं निडर हूँ, अब किसी भी
बात से डरता नहीं हूँ।
ज़िन्दगानी के सफ़र में
लाख रोड़े हों डगर में
अब न कोई फ़र्क पड़ता
सामने तू दीख पड़ता।
हों अँधेरे लाख बाहर
फिक्र मैं करता नहीं हूँ।
फूल की है चाह ना
अब शूल की परवाह ना
नाम तेरा, आस तेरी
नाव औ' पतवार मेरी।
तू ही माँझी, अब भॅँवर की
चाल से डरता नहीं हूँ।
जब से तूने बाँह थामी
बदली मेरी ज़िन्दगानी।
तेरी करुणा का भिखारी
मौन का मैं हूँ पुजारी।
अब भ्रमर की भाँति मैं
हर डाल पर फिरता नहीं हूँ।
भाव अर्पित, कर्म अर्पित
कर रहा सब कुछ समर्पित
अब सँभालो नाथ मुझको
बस तुम्हारी आस मुझको।
अब तुम्हारी राह से मैं
चाहता डिगना नहीं हूँ।
१६ फरवरी २०१५ |