अनुभूति में
अनुराग तिवारी की कविताएँ-
गीतों में-
आखिर मुझे कहाँ जाना है
दिल्ली में है सत्ता बदली
धूप
बचपन
मैं निडर हूँ
संकलन में-
सूरज-
सूरज खेले आँख मिचौनी
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दिल्ली में है
सत्ता बदली
दिल्ली में है सत्ता बदली
परिवर्तन की चली बयार।
लेकिन क्या कुछ बदल सकेगा
अपने भी जीवन में यार।
अच्छे दिन आने वाले हैं
लेकिन किसके? पूछ रहा मन
मँहगाई की सुरसा से कुछ
पॉकेट में बच पायेगा धन?
क्या बदलेगी भ्रष्ट व्यवस्था
कम होंगे दफ़्तर के चक्कर?
बिन धन के फ़ाईल बढ़ेगी
साइन करेगा उसपर अफ़सर?
जनता क्या चाहे? केवल कुछ
बुनियादी सुविधाएँ।
बाकी सबकी अपनी किस्मत
मेहनत और आशाएँ।
सत्ता तक पहुँचाने वाली
जनता है, यह याद रहे।
अपने स्वार्थ, अहं से ऊपर
जनता की आवाज़ रहे।
जनता के प्रति अपने वादे
भूल न जाना राजा जी।
वरना इस कुर्सी की केवल
पाँच बरस है वॉरन्टी।
१६ फरवरी २०१५ |