अनुभूति में
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
की रचनाएँ-
नए गीतों में-
कब होंगे आज़ाद हम
झुलस रहा है गाँव
बरसो राम धड़ाके से
भाषा तो प्रवहित सलिला है
मत हो राम अधीर
हाइकु में-
हाइकु गज़ल
गीतों में-
आँखें रहते सूर हो गए
अपने सपने
ओढ़ कुहासे की चादर
कागा आया है
चुप न रहें
पूनम से आमंत्रण
मगरमचछ सरपंच
मीत तुम्हारी राह हेरता
मौन रो रही कोयल
संध्या के माथे पर
सूरज ने भेजी है
दोहों में-
फागुनी दोहे |
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मत हो राम अधीर
जीवन के
सुख-दुःख हँस झेलो ,
मत हो राम अधीर
भाव, आभाव, प्रभाव
ज़िन्दगी
मिलन, विरह, अलगाव
जिंदगी
अनिल अनल परस नभ
पानी-
पा, खो, बिसर स्वभाव
ज़िन्दगी
अवध रहो
या तजो, तुम्हें तो
सहनी होगी पीर
मत वामन हो, तुम विराट
हो
ढाबे सम्मुख बिछी खाट
हो
संग कबीरा का चाहो तो-
चरखा हो या फटा
टाट
हो
सीता हो
या द्रुपद सुता हो
मैला होता चीर
विधि कुछ भी हो कुछ
रच जाओ
हरि मोहन हो नाच
नचाओ
हर हो तो विष पी
मुस्काओ-
नेह नर्मदा नाद
गुँजाओ
जितना बहता
'सलिल' सदा हो
उतना निरमा नीर
२० सितंबर २०१० |