अनुभूति में
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
की रचनाएँ-
हाइकु में-
हाइकु गज़ल
गीतों में-
आँखें रहते सूर हो गए
अपने सपने
ओढ़ कुहासे की चादर
कागा आया है
चुप न रहें
पूनम से आमंत्रण
मगरमचछ सरपंच
मीत तुम्हारी राह हेरता
मौन रो रही कोयल
संध्या के माथे पर
सूरज ने भेजी है
दोहों में-
फागुनी दोहे |
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हाइकु गजल
आया वसंत, / इन्द्रधनुषी हुए / दिशा-दिगंत
शोभा अनंत / हुए मोहित, सुर / मानव संत
प्रीत के गीत / गुनगुनाती धूप / बनालो मीत
जलाते दिए / एक-दूजे के लिए / कामिनी-कंत
पीताभी पर्ण / संभावित जननी / जैसे विवर्ण
हो हरियाली / मिलेगी खुशहाली / होगे श्रीमंत
चूमता कली / मधुकर गुंजार / लजाती लली
सूरज हुआ / उषा पर निसार / लाली अनंत
प्रीत की रीत / जानकार न जाने / नीत-अनीत
क्यों कन्यादान? / 'सलिल' वरदान / दें एकदंत
२४ मई २०१० |