हिमाद्रि तुंग
शृंग से
हिमाद्रि तुंग शृंग से
प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला
स्वतंत्रता पुकारती
अर्मत्य वीर पुत्र हो
दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ है
बढ़े चलो बढ़े चलो!
असंख्य कीर्ति रश्मियाँ
विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के
रुको न शूर साहसी
अराति सैन्य सिंधु में
सुबाड़वाग्नि से जलो
प्रवीर हो जयी बनो
बढ़े चलो बढ़े चलो!
९ जनवरी २००२ |