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अनुभूति में सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की अन्य रचनाएँ —

गीतों में-
आज प्रथम गाई पिक पंचम
गहन है यह
जागो फिर एक बार
लू के झोंकों से झुलसे
वर दे
स्नेह निर्झर

छंदमुक्त में-
जुही की कली
तुम और मै
तोड़ती पत्थर
वर दे
सांध्य सुंदरी

संकलन में—
वसंती हवा- वसंत आया
वर्षा मंगल–बादल राग
धूप के पांव–तोड़ती पत्थर
गाँव में अलाव– कुत्ता भौंकने लगा
प्रेम गीत- बाँधो न नाव

गौरव ग्रंथ में—
राम की शक्तिपूजा

  वर दे

वर दे!
वीणावादिनि वरदे!
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
भारत में भर दे!

काट अंध उर के बंधन स्तर
बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर
कलुष-भेद - तम हर प्रकाश भर
जगमग जग कर दे!

नव गति, नव लय, ताल, छंद नव,
नवल कंठ, नव जलद - मंद्र रव,
नव नभ के नव विहग-वृन्द को
नव पर नव स्वर दे!

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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