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अनुभूति में सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला" की अन्य रचनाएँ —

गीतों में-
आज प्रथम गाई पिक पंचम
गहन है यह
जागो फिर एक बार
लू के झोंकों से झुलसे
वर दे
स्नेह निर्झर

छंदमुक्त में-
जुही की कली
तुम और मै
तोड़ती पत्थर
वर दे
सांध्य सुंदरी

संकलन में—
वसंती हवा- वसंत आया
वर्षा मंगल–बादल राग
धूप के पांव–तोड़ती पत्थर
गाँव में अलाव– कुत्ता भौंकने लगा
प्रेम गीत- बाँधो न नाव

गौरव ग्रंथ में—
राम की शक्तिपूजा

 

आज प्रथम गाई पिक पंचम

आज प्रथम गाई पिक पंचम
गूँजा है मरु विपिन मनोरम।

मरुत-प्रवाह, कुसुम-तरु फूले,
बौर-बौर पर भौंरे झूले,
पात-पात के प्रमुदित झूले,
छाई सुरभि चतुर्दिक उत्तम।

आँखों से बरसे ज्योति-कण,
परसे उन्मन - उन्मन उपवन,
खुला धरा का पराकृष्ट तन
फूटा ज्ञान गीतमय सत्तम।

प्रथम वर्ष की पांख खुली है,
शाख-शाख किसलयों तुली है,
एक और माधुरी चली है,
गीत-गंध-रस-वर्णों अनुपम।

 

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