अनुभूति में
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की रचनाएँ-
गौरव ग्राम में-
असिधारा पथ
ओस बिंदु सम ढरके
प्राप्तव्य
फागुन
भिक्षा
मधुमय स्वप्न रंगीले
मन मीन
मेह की झड़ी लगी
सदा चाँदनी
साजन लेंगे जोग री
हम अनिकेतन
विप्लव गायन
हिंडोला
दोहों में-
सोलह दोहे
संकलन में-
वर्षा मंगल - घन गरजे
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असिधारा-पथ
ओ असिधारा-पथ के गामी!
विकट सुभट तुम, अथक पथिक तुम कंटक-कीर्णित मग-अनुगामी
ओ असिधारा-पथ के गामी!
तुम विकराल मृत्यु आसन के साधक, तुम नवजीवन-दानी
तुम विप्लव के परम प्रवर्तक, चरम शांति के निष्ठुर स्वामी!
ओ असिधारा-पथ के गामी!
शत-शत शताब्दियों के पातक पुंज हो रहे पानी-पानी,
अंजलि भर-भर जीवन शोणित देने वाले ओ निष्कामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!
हे प्रचंड उद्दंड, अखंड महाव्रत के पालक विज्ञानी,
तड़प उठा है सब जग ज़रा ठहर जाओ, हे मौन अनामी!
तुम असिधारा-पथ के गामी!
१ अगस्त २००५
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