बलबीर सिंह
'रंग'
जन्म: १४ नवंबर १९११ को
नगला कटीला ग्राम, ज़िला एटा में एक कृषक परिवार में जन्म।
कार्यक्षेत्र: बलबीर सिंह रंग की पारंपरिक शिक्षा किसी
विश्वविद्यालय में नहीं हुई किंतु उनके गंभीर अध्ययन की छाया
उनकी कविताओं में देखी जा सकती है। पाँच
दशकों तक वे मंचों पर गीत और ग़जल के
सशक्त हस्ताक्षर के रूप में छाए रहे। अध्यात्म, जीवन की
नि:सारता, राष्ट्रीयता, प्रणय एवं प्रशस्ति के विभिन्न रंग उनकी
रचनाओं में बिखरे पड़े हैं।
बच्चन जी के परवर्ती गीत
सर्जकों में उनका नाम गोपाल सिंह नेपाली, रामावतार त्यागी,
रमानाथ अवस्थी और वीरेन्द्र मिश्र के साथ लिया जाता है। रंग जी
अपनी विशिष्ट रचना शैली और कथ्य के कारण बहुत चर्चित व समादृत
हुए। पुस्तक के रूप में रंग जी की रचनाएँ
चौथे दशक में ही आ चुकी थीं। १९५० के बाद जब नई कविता और नवगीत
आकार ले रहे थे, तब मंचों पर रंग का जनवादी स्वर गूँज
रहा था। यथार्थवादी धरातल पर साफ़-सुथरी
भाषा का ओज तब कितना संप्रेषणीय और प्रासांगिक था, आज उसकी
कल्पना कठिन है। रंग जी की वे रचनाएँ आज
भी उतनी ही प्रासंगिक है।
प्रकाशित कृतियाँ:
प्रवेश गीत, सांझ सकारे, संगम, सिंहासन, गंध रचती
छंद, शारदीया आदि काव्य संग्रह।
निधन : १९८४
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अनुभूति में
बलबीर सिंह 'रंग'
की रचनाएँ-
गीतों में
अभी निकटता बहुत दूर है
आया नहीं हूँ
जीवन में अरमानों का
तुम्हारे गीत गाना चाहता हूँ
पीछे जा रहा हूँ मैं
पूजा के गीत
बन गई आज कविता मेरी
मेरे जीवन के पतझड़ में
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