अनुभूति में
चंद्रसेन विराट की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अब हथेली
अक्षरों की अर्चना
गजल हो गई
छंद की अवधारणा
मुक्तिकाएँ लिखें
दोहों में-
चाँदी का जूता
तुमको क्या देखा
मुक्तक में-
नाश को एक कहर
संकलन में-
मेरा भारत-
ये
देश हमारा
वंदन मेरे देश |
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मुक्तिकाएँ लिखें
मुक्तिकाएँ लिखें
दर्द गायें लिखें।।
हम लिखें धूप भी
हम घटाएँ लिखें।।
हास की अश्रु की
सब छटाएँ लिखें।।
बुद्धि की छाँव में
भावनाएँ लिखें।।
सत्य के स्वप्न सी
कल्पनाएँ लिखें।।
आदमी की बड़ी
लघुकथाएँ लिखें।।
सूचनाएँ नहीं
सर्जनाएँ लिखें।।
भव्य भवितव्य की
भूमिकाएँ लिखें।।
पीढ़ियों के लिए
प्रार्थनाएँ लिखें।।
केंद्र में रख मनुज
मुक्तिकाएँ लिखें।।
२५ जून २०१२ |