अनुभूति में
श्री
नारायण
शुक्ल की रचनाएँ
गीतों में-
देवता हो जाओगे
हमारा सिंगापुर
अंजुमन में-
फायदा
छंदमुक्त में-
सन्यास से पहले की सोच
दिल और दिमाग की लड़ाई |
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सन्यास से
पहले की सोच
सामानों से छुटकारा लो
और जीवन को आसान करो
कुछ को बाँटो, कुछ को बेचो,
कुछ को फेंको, कुछ दान करो
हर ग़ैरज़रूरी चीजों को तुम
झटपट अंतरध्यान करो
सोचो जब छोटे बच्चे थे
पहने बंडी और कच्छे थे
बिस्कुट टॉफ़ी ही दुनिया थी
तुम अच्छे थे, सब अच्छे थे
पापा अच्छे, मम्मी अच्छी
वो सच्चे थे, तुम सच्चे थे
अब सबका अपना कमरा हो
और कमरों में अलमारी हो
अलमारी में सब चीजें हों
और चीजें सारी प्यारी हो
ये सब चीजें दुखदाई हैं
ये अपनी नहीं पराई हैं
इन चीजों से मत मोह करो
दे दो मुश्किल के मारों को
तुम दे दो बिना सहारों को
ना इनपे झूठी शान करो
ना इनका कभी बखान करो
ना तुम इनपर अभिमान करो
गौतम, नानक भी कहते हैं
दुःख इच्छाओं में रहते हैं
इच्छा त्यागो, मिथ्या त्यागो
अपने सुख का सामान करो
सामानों से छुटकारा लो
और जीवन को आसान करो
१ अप्रैल २०२३
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