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अनुभूति में प्रो. राजीव कृष्ण सक्सेना की रचनाएँ —

इक पल
विवशता

 

इक पल

इक पल है नैनों से नैनों के मिलने का
बाकी का समय सभी रूठने मनाने का

इक पल में झटके से हृदय टूक-टूक हुआ
बाकी का समय नीर नैन से बहाने का

इक पल की गरिमा ने बुध्द किया गौतम को
बाकी का समय तपी ज़िंदगी बिताने का

पासों से पस्त हुए इक पल में धर्मराज
बाकी का समय कुरुक्षेत्र को सजाने का

इक पल में सीता का हरण किया रावण ने
बाकी का समय राम कथा को सुनाने का

चमक गई दमक गई इक पल नभ पर तड़िता
बाकी का समय सभी गरज बरस जाने का

इक पल की महिमा है इक पल का जादू है
इक पल का निश्चय ही जीवन पर काबू है

इक पल जल कर करता जीवन पथ आलोकित
बाकी का समय लक्ष्य छोड़ भटक जाने का

9 जनवरी 2007

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