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ढूँढ रही हूँ एक बुद्ध
युग बीत गए, काल बीत गए
मुझसे न छीनो
स्वाभिमान
आत्मसम्मान
आत्मविश्वास
बहुत छिन चुका है मेरा
विश्वास
प्रेम
धैर्य
कीमत चुका रही हूँ
अपमान की
लाज लूटने की
छलकपट की
आज भी संघर्ष वही है
बेटी पढ़ा-लिखा लो
बेटी पर उम्मीदों की आस
बेटी करती क्रांति ममता/अहिंसा से
ढूँढ रही हूँ एक बुद्ध
जिसने स्वीकार किया पूरे विश्वास से
सत्य निक्कमा नीम-सा कड़वा
मीठा झूठ बोलते हैं सभी
झूठ को सच साबित कर
मुझे मेरा बुद्ध लौटा दो
शायद मुझे भटकना न पड़े
अकेला वनों में, महानगरों में, गलियों में
बच सके मान और टल जाएँ युद्ध !!
१ मई २०२३
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