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अनुभूति में रेखा भाटिया की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
ईश्वर की खोज
जीवन का व्याकरण
ढूँढ रही हूँ एक बुद्ध
पुराने रिश्ते
मेंहदी रचे हाथ

 

ढूँढ रही हूँ एक बुद्ध

युग बीत गए, काल बीत गए
मुझसे न छीनो
स्वाभिमान
आत्मसम्मान
आत्मविश्वास

बहुत छिन चुका है मेरा
विश्वास
प्रेम
धैर्य

कीमत चुका रही हूँ
अपमान की
लाज लूटने की
छलकपट की

आज भी संघर्ष वही है
बेटी पढ़ा-लिखा लो
बेटी पर उम्मीदों की आस
बेटी करती क्रांति ममता/अहिंसा से

ढूँढ रही हूँ एक बुद्ध
जिसने स्वीकार किया पूरे विश्वास से
सत्य निक्कमा नीम-सा कड़वा
मीठा झूठ बोलते हैं सभी
झूठ को सच साबित कर
मुझे मेरा बुद्ध लौटा दो

शायद मुझे भटकना न पड़े
अकेला वनों में, महानगरों में, गलियों में
बच सके मान और टल जाएँ युद्ध !!

१ मई २०२३

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