अनुभूति में
मीनू बिस्वास की रचनाएँ—
छंदमुक्त में—
आँचल की छाँव
क्या आँखें बोलती हैं
धुँधले अहसास
रिश्तों का ताना बाना
सृष्टि का
सृजन
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आँचल की
छाँव
तेरे आँचल की छाँव में
बीता मीठा सा बचपन
कभी दुलारा तूने
कभी प्यार से फटकारा
पर क्या हुआ जो माँ
तु रूठ कर चली गई
आज भी तेरी आँचल की छाँव को
तरसता है ये मन
तेरे बनाये पकवानों का स्वाद
अब भी याद है मुझे,
तेरे आशीष भरे स्पर्श
और स्नेह भरे नैनों को
आज भी ढूँढती हैं निगाहें
काश! कुछ वक़्त छीन के ला पाती मैं तेरे लिए
समेट लेती ख़ुद को तेरी गोद में
जहाँ सिर्फ़ चैन और सुकूँ था
२९ जून
२०१५ |