अनुभूति में
मीरा ठाकुर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आज भी लोग अच्छे हैं
थोड़ी सी रात
वरदान
हर चौराहे फूल खिले
हाइकु में-
दस हाइकु
संकलन में-
होली है-
संत वसंत |
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वरदान
जीवन की इस आपाधापी में
हे प्रभु ! दो इतना वरदान ।
बनें रहें बस हम इंसान
नहीं चाहिए सुख का सागर,
बिखरे हों चाहे दुख के बादल,
केवल इतना हो अनुमान
करूँ न मैं किसी का अपमान
सकल मनुज बन रहा निशाचर
काट रहे अपनों के ही पर
रहा न किसी के मन में प्यार
राहें बनी सबकी दुश्वार ।
हे प्रभु ! दो इतना वरदान ।
बनें रहें बस हम इंसान॥
११ जुलाई २०११ |