अनुभूति में
मीरा ठाकुर की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आज भी लोग अच्छे हैं
थोड़ी सी रात
वरदान
हर चौराहे फूल खिले
हाइकु में-
दस हाइकु
संकलन में-
होली है-
संत वसंत |
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थोड़ी-सी रात
थोड़ी–सी रात शेष है
उगेगा सूरज जब तक
घना अंधेरा होगा तब तक
बैठें रहें आशा में जो
उनकी पीड़ा कौन गहे
उनके दुख को कौन कहे
जो लेते हैं दुख के घूँट
उनकी पीड़ा सह पाओगे
किसके संग अब तुम जाओगे
वे सुख के अब शिखर कहाँ हैं,
इस जीवन में किससे पूछें,
वह आलोकित सूर्य कहाँ है
११ जुलाई २०११ |