अनुभूति में
माया भारती की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
जिसको देखो वही दुखी है
वतन की याद
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वतन की याद
देस हमारा
परदेश बसे हमवतनों को
प्यारा लगता है
चाहे कोई
जाने अनजाने
परदेश में मिल जाए
वह हमवतनी भी हमको
प्यारा लगता है।
इस जीवन में
कभी तो सबको
दुख भी मिलता है
जहाँ वतन की याद मधुर हो
फिर तो
सुख ही मिलता है।
२४ अप्रैल २००६
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