अनुभूति में
मैट रीक की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
दिल्ली हाट पे
जो सफर मैंने किया
मेरी किताब |
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मेरी किताब
मैं दरिया के किनारे लहरें
गिनता हूँ।
मैं अपनी ज़िंदगी
की वजहें भी गिनता हूँ।
कितने कोण, कितने सिरे,
कितनी भाषाएँ
गिननी पड़ेगी मुझे?
मैं एक किताब बनाता हूँ
जिस में हमारी दुनिया
की सारी चीज़ें होंगी,
उनके नाम, उनकी विशेषताएँ।
पूरी जनता यह किताब
पढ़ना चाहेगी।
वह उस के अंत को
बरबाद करना नहीं चाहेगी,
इसलिए शुरूआत से ही पढ़ने लगेगी।
जैसे ही मैं यह किताब
समाप्त करता हूँ,
मैं शीघ्र प्रकाशकों के पास जाऊँगा।
बाद में मैं एक बंगला शहर से दूर
बनवाऊँगा, वहाँ जा कर अपना
दाह संस्कार मनाऊँगा।
जहाँ मैं अपना समय बिताऊँगा
वहाँ से एक दूसरे संस्करण का
प्रकाशन मुश्किल होगा।
अगर बाकी चीजें रहें,
अन्य लोगों को गिननी पड़ेंगी।
कृपया,
मेरे संग्रह को याद रखें!
१ सितंबर २००४ |