अनुभूति में
मनीषा मारू की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
कहानी
जब से मुस्कुराना
पहली बारिश
प्रार्थना
स्वतंत्रता की बात |
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पहली बारिश
पहली बारिश का होना...
जैसे अंधेरी रात में
चाँद का चमकना
रोशनी के रथ पे सितारों का मचलना
धरा को चूमती बूँदों का
छम- छम करना
नज़ारो से हृदय दृग का
हिलोर मारना
गुजरती हवाओ का राग-मल्हार छोड़ना
मन की थाप पे पाँव का जोरो से थिरकना
प्रीतम का नाम लेकर
दिल का धड़कना
मस्ती में झूमकर
फिर से बचपन याद आना
जहाँ कम पानी में भी कागज की नाव का चलना
छप- छप करके कीचड़ को उछालना
यह सोच सोच
यादों के गलियारे का भीगना
उत्साहवर्धन की बारिश मे
पुनः बचपने को जीवंत कर लेना१
फरवरी २०२४ |