अनुभूति में
मनीषा मारू की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
कहानी
जब से मुस्कुराना
पहली बारिश
प्रार्थना
स्वतंत्रता की बात |
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जब से मुस्कुराना
जब से मुस्कुराना आ गया
कोई ना कोई हँसने का बहाना रास आ गया
गुमसुम मुरझाए हुए चेहरे पर
आनंद, उत्सव का चहुँ ओर मंगल छा गया
दिल की शिकायतों पर
दिमाग की फिजूल खर्ची करनी अब छोड़ दी
खुद से प्यार करके
दर्द-ए-दिल की नुमाइश करनी भी अब छोड़ दी
सुकून का बसर हो रहा है
लगता है खुद को समझाने का असर हो रहा है
राज ये उजागर हो रहा है
"मनीषा" से मुस्कुराने तक का सुहाना सफर
यों तय हो रहा है१ फरवरी २०२४ |