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चलो
रहने दो
तुम से, इक बात, जो कहनी है
चलो रहने दो
ये मेरे लब की, बेचैनी है
चलो रहने दो
हाँ कभी, काली घटा छत से गुज़र जाए तो
दिल की परतों पे इक फुहार बिखर जाए तो
जुगनुओं की चमक इक बार जगमगाए तो
या कभी सूखे गुलाबों पे बहार आए तो
चाँद बादल के झरोखे से मुस्कुराये कभी
हाँ तभी, हाँ तभी, इक बात जो कहनी है
चलो रहने दो
मुझसे टकराके इक क़िताब जब फिसल जाये
और चेहरे पे तुम्हारे कोई सवाल आए
चाह कर भी ज़ुबां ना साथ अगर दे पाए
शर्म आँचल की पनाहों में डूबती जाए
या अगर तुमको जो फुर्सत हो ज़माने से कभी
हाँ तभी, हाँ तभी, इक बात जो कहनी है
चलो रहने दो
कोहरे से ढँके मौसम को बदल जाने दो
लड़खड़ाते हुए लफ़्ज़ों को सँभल जाने दो
मेरी आँखों में इंतज़ार अभी रहने दो
ये तसव्वुर है, इस ख़ुमार को पल जाने दो
ख़्वाब का बोझ ना पलकों ने उठाया जो कभी
हाँ तभी, हाँ तभी, इक बात जो कहनी है
चलो रहने दो
१० अक्तूबर २०११
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