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अनुभूति में दिव्या माथुर की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
कैसा यह सूखा
मैं ब्रह्मा हूँ
माँ

संकलन में-
वसंती हवा- बसंत
         बहार
         भँवरा

 

 

माँ

माँ होने के नाते
मैं दोषी हूँ
मेरे ही गर्भ से तो
जन्मा था ये संसार
पालन पोषण में इसके
क्या त्रुटि रह गई मुझ से
कि भूख इथियोपिया की
ये नहीं बाँटता
कि गल्फ का गम
इसे नहीं सालता

सब से अलग थलग कुछ क्यों
खुद में सिमटे बैठे हैं
गठरियाँ दबाये बगलों में
दड़बों में छिपे कुछ रहते हैं

या खुदा
ये मेरा सपना हो
जिससे मैं जगूँ व जन पाऊँ
अच्छे और स्वस्थ बच्चे
मिल बाँट के खाते पीते
भोले और सीधे सच्चे।

१ मार्च २००४

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