दिव्या माथुर
शिक्षा:
एम.ए.
(अंग्रेजी) के अतिरिक्त दिल्ली एवं ग्लास्गो से पत्रकारिता में
डिप्लोमा। आइ टी आइ दिल्ली में
सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस में डिप्लोमा एवं चिकित्सा–आशुलिपि का
स्वतंत्र अध्ययन।
कार्यक्षेत्र:
रॉयल सोसायटी ऑफ आर्टस की फेलो दिव्या का नेत्रहीनता से
सम्बंधित कई संस्थाओं में योगदान रहा हैं। वे यू.के.
हिंदी समिति की उपाध्यक्ष, कथा यू.के.
की पूर्व अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन की
सांस्कृतिक अध्यक्ष भी रही हैं। आपकी कहानियाँ और कविताएँ
भिन्न भाषाओं के संकलनों में शामिल की गई हैं। रेडियो एवं
दूरदर्शन पर प्रसारण के अतिरिक्त, इनकी कविताओं, कहानियों व
नाटकों का मंचन, प्रसारण व ब्रेल लिपि में प्रकाशन हो चुका है।
दिव्याजी को पदमानंद साहित्य एवं संस्कृति सेवा सम्मान से
अलंकृत किया जा चुका है। लंदन में कहानियों के मंचन की शुरूआत का सेहरा भी आपके
सिर जाता है।
प्रकाशित रचनाएँ :
अंतःसलिला, रेत का लिखा, ख्याल तेरा, आक्रोश, सपनों की राख तले
एवं जीवन हा मृत्यु।
संप्रति:
नेहरू केन्द्र (लंदन में भारतीय उच्चायोग का सांस्कृतिक विभाग)
में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी।
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अनुभूति में
दिव्या माथुर की रचनाएँ —
छंदमुक्त में-
कैसा यह सूखा
मैं ब्रह्मा हूँ
माँ
संकलन में-
वसंती हवा-
बसंत
बहार
भँवरा
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