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अनुभूति में चंद्रमोहन भंडारी की रचनाएँ-

आपकी तारीफ़
कहो मैं मेरा कैसे?
कैसा ज़माना आया यारो!
खुदाई
मेरे हिंदोस्ताँ, मेरे वतन

 

आपकी तारीफ़

हाकिम नहीं, हुकूमत नहीं, हकीम नहीं
पैसा नहीं, पेशा नहीं, पदासीन नहीं
तो फिर आपकी तारीफ़
बस अपना ही समझिए
हमसफ़र, हमतवन
हर हालातों में
मज़बूत भरोसेभर

16 अप्रैल 2007

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