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अनुभूति में अर्चना पंडा की रचनाएँ—

हास्य व्यंग्य में—
अमरीका
कोई भारत से जब आए
नौकरी की टोकरी
वैलेंटाइन डे
शादी अच्छे घरों में हो

 

शादी अच्छे घरों में हो

एक दिन अकस्मात्, हो गई दासजी से मुलाकात,
हमने कहा कैसे हैं सर,
उन्होंने कहा क्या सुनाएँ ख़बर?
तीस साल से हैं अमरीका,
रहन सहन इस देश का सीखा,
कटी जवानी डॉलर पीछे,
काम किया बस आँखें मींचे,
दया प्रभु की सब है चंगा,
बस जीवन में अब एक पंगा,

बड़ी कार, बड़ा बैंक बैलेंस,
बड़ी सोसाइटी में घर है,
चाहिए तो बस बेटे को एक बहू
और बेटी को एक वर है,

हमने कहा - अजी!
टेक्नोलोजी का लाभ उठाइए,
शादी डॉट कॉम पर जाइए,
उन्होंने हमें घूरा, फिर कहा,
हमने बहुत है खर्च किया,
सारे साइटों पर सर्च किया,
पर अपने तो भाग ही फूटे हैं,
वहाँ तो आधे नाम ही झूठे हैं!
हाँ, एक आध सच्चे भी हैं,
हम-से सीरियस, अच्छे भी हैं।

हमने बात करी, फोटो आए,
हमने घर सबको दिखलाए,
बेटी यहीं जो पली बढ़ी,
हर फोटो पे उसकी नाक चढ़ी,

हुई खुशी मैं सीना तान गया,
चलो बेटा किसी पे मान गया,
पर देखा जो मैंने फोटो दिल ऐसा मेरा धड़का था,
मेरी फ्यूचर बहू रानी एक लड़की नहीं
एक लड़का था,

कोई बताए हमको ये आज,
ये कब बदला अपना समाज,
ये रंग नया, वो संग नया,
अब जीने एक तो ढंग नया...

चलो बेटी की बताते हैं...
एक मित्र के सुपुत्र का बेटी को रिश्ता आया था,
फिर जुड़ जाएँगे भारत से
ये सोच के मन हर्षाया था,
फ्यूचर समधन से बोले हम,
अब मिट जाएँगे सारे गम,
मेरी बेटी को अब तो अपनों का लाड़ मिलेगा,
उन्होंने पूछा मेरे बेटे को कब तक ग्रीन कार्ड मिलेगा?
मिस्टर दास थे बड़े उदास,
टेंशन में सुबहो शाम थे,
निज देश त्याग, परदेस में
रहने के ये कुछ इनाम थे,

मिस्टर दास का सुनकर हाल कलेजा मेरा हिल गया,
जो पहुँची मैं दफ्तर, एक मित्र भारतीय मिल गया,
नाम तो उसका शान था,
हरदम रहता परेशान था,

जो मैंने सुनाई उसको दासजी की कथा,
लगा सुनाने वो भी अपनी शादी की दारुण व्यथा!
उनका क्या सुनती हो? हमारा सुनो...
तुम सुनो तो मेरा हाल, पिछले तीन साल...
एक बस एक भारतीय कन्या के लिए
बीन बजा रहा हूँ, सपने सजा रहा हूँ,
राग मल्हार गा रहा हूँ,
और रोटी के अभाव में पिज़ा खा रहा हूँ!

पर ये इंडियन लड़कियाँ इतनी कसाई हैं,
कि इनके लिए हम तो बकरे के भाई हैं,
जितने हमारे सर पर बाल हैं,
उससे भी ज़्यादा उनके सवाल हैं,

एक ने पूछा क्या है वीसा,
एक ने पूछा क्या है पे?
सान फ्रांसिस्को में रहते हो,
आई होप यू आर नॉ अ गे
एक ने पूछा स्टॉक हैं,
या रियल इस्टेट में डाला है?
या अब तक अपनी तनख्वाह से
बस ख़ुद ही को पाला है?
क्या क्या कहूँ सवाल थे सारे,
भाग गया मैं डर के मारे...

जो पूछेंगी ये लड़कियाँ इतने सवाल तकनीकी,
तो देखूँगा लड़की मैं - रुसी, चीनी, अमरीकी...
जाने इंडियन गर्ल्स को क्या हो गया है?
इनकी शरम, इनका धरम कहाँ खो गया है?
हमारा मित्र भारतीय नारी के अभिमान को रो रहा था,
हमें गर्व हो रहा था, बहुत गर्व हो रहा था!
फिर भी हिम्मत देने को हमने बोला,
लड़की एजुकेटेड है बम का गोला...
कम पढ़ी लिखी भोली भाली कहो तो ढूँढ़ के लाऊँ,
जो कहे पति को परमेश्वर, मैं तुमको दिखलाऊँ,

वो चीखा - नह्ह्ह्ह्हीं!
बीवी की मार तो सह लूँगा पर महँगाई कैसे सहूँ?
सिलिकन वेल्ली में रहना है तो हरदम यही कहूँ...
बेशक लंगडी लूली हो कोई फियर नहीं है,
वो भी क्या दुल्हन जो इंजीनियर नहीं है?
इंजीनियर न सही, डॉक्टर ही सही,
दो तनखा के बिना तो गुजर डियर नहीं है!

हम लगे हुए थे बातों में,
ले काग़ज़ कुछ हाथों में,
आई तमन्ना कुछ कहने,
बड़े तंग कपड़े पहने...
जो नीचे से कुछ ऊपर थे,
और ऊपर से कुछ नीचे!
जी हाँ, बॉलीवुड ने हॉलीवुड को छोड़ दिया है पीछे!

मैंने कहा शान, मेरी बात मान,
घर की मुर्गी धर ले,
तू तमन्ना से ही शादी कर ले,
शान तो चुप रहा पर तमन्ना बोली,
ये कैसी बातें खोली?
शादी तो शादी है, कोई फास्ट फूड नहीं है,
वैसे भी शादी का मेरा मूड नहीं है!
लेकिन अगर तुम्हारा मित्र
मेरा आधा किराया सह सकता है,
तो मेरे साथ मेरे घर पर रह सकता है...
बात साथ रहने की ही है, शादी का क्या तर्क है?
ऐसे रहें या वैसे, कोई फ़र्क है?
जी में आया दो चाटें में जड़ दूँ इसको आज,
पर ये नही तमन्ना, ये तो कह रहा है समाज!

घर घर में आज डिवोर्स हो रहे हैं!
स्कूल में सेक्स पर कोर्स हो रहे हैं,
इराक में यू एस का फोर्स ढो रहे हैं,
और सारे प्रोजेक्ट इंडिया आउटसोर्स हो रहे हैं!

अंत में एक मंगल कामना के साथ विदा लेती हूँ-
अर्चना है यही कि भारतीय चेतना आपके करों में हो,
आपकी या आपके बच्चों कि शादी अच्छे घरों में हो!

१० नवंबर २००८

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