अनुभूति में
अर्चना पंडा की रचनाएँ—
हास्य व्यंग्य में—
अमरीका
कोई भारत से जब आए
नौकरी की टोकरी
वैलेंटाइन डे
शादी अच्छे घरों में हो
|
|
कोई भारत
से जब आए ...
कोई इंडिया से जब आए
तो वो यही सोच कर आए,
कि सपनों की कोई निधि पाई रे
पर आकर इस
देश में यूँ लगता है.
डॉलर भी तो पेड़ पे नहीं आते हैं,
मन तन्हा है, जीवन सूना फिर भी रे,
सुख दुःख में हम किस किस से मिल पाते हैं ?
मंहगा डे केयर है, जीरो पे शेएर है,
कटे आधी तनखा टैक्स में, लगता नहीं फेयर है !
दूर देश में सब बोलें, तुम लाखों में डोलो,
सच्चाई हम जानें तुम हमको न बोलो !
हाँ! भारत से नई मांग आई रे ....
कोई इंडिया से जब आए..
पर जीवन तो फिर भी चलता रहता है,
हमने यहीं पर हँसना गाना सीखा है,
बिना किसी बैसाखी के ख़ुद ही चलना,
अब तो अपना देस ही अमरीका है !
उस माँ ने जनम दिया, इस माँ ने पाला है,
तो इस माँ का दर्जा उस माँ से आला है !
ए मेरे वतन के लोगों, ये बात जान लो हाँ !
रखना ऊँचा निज स्वाभिमान, तुम जग में रहो जहाँ ...
पूरब से आई कैसी, पुरवाई रे ....
१० नवंबर २००८
|