अनुभूति में
अब्बास रज़ा अल्वी की रचनाएँ
छंदमुक्त में-
अपने शहर
की
फिर तेज़ हवा
का
अंजुमन में-
फ़सादो दर्द
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फिर
तेज़ हवा का
फिर तेज़ हवा का यह झोंका सावन की
याद दिलाता है
शायद तुमने फिर याद किया चिठ्ठी का रंग बतलाता है
शायद अमिया के पेडों पर फिर बौर नया लग आया हो
कोयल की गूँजी कु कू ने हर गीत मेरा दोहराया हो
फिर पक्षी डाल पे डोला हो हर गुन्चा गुन्चा झूला हो
बीते बचपन की यादों में क्यों बिछड़ा पल तड़पाता है
फिर तेज़ हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है
शायद पीपल की छावों में एक याद सताने लगती हो
बीते बचपन की बातों में ये बात रूलाने लगती हो
क्यों रिश्ते नाते टूट गए क्यों साथी सारे छूट गए
किस्मत ने कैसी चाल चली क्यों हर पल तुम्हें रुलाता है
फिर तेज़ हवा का यह झोंका सावन की याद दिलाता है
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