अनुभूति में
अनूप भार्गव की रचनाएँ
मुक्तक में-
मुक्तक
छंदमुक्त में-
कविता बनी
रिश्ते
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रिश्ते
रिश्तों को सीमाओं में नहीं बाँधा करते
उन्हें झूठी परिभाषाओं में नहीं ढाला करते
उड़ने दो इन्हें उन्मुक्त पंछियों की तरह
बहती हुई नदी की तरह
तलाश करने दो इन्हें अपनी सीमाएं
खुद ही ढूंढ़ लेंगे उपमाएँ
होनें दो वही जो क्षण कहे
सीमा वही हो जो मन कहे
२४ जुलाई २००५
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