अनुभूति में
अनूप भार्गव की रचनाएँ
मुक्तक में-
मुक्तक
छंदमुक्त में-
कविता बनी
रिश्ते
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चार मुक्तक
एक
प्रणय की प्रेरणा तुम हो
विरह की वेदना तुम हो
निगाहों में तुम्हीं तुम हो
समय की चेतना तुम हो
दो
तृप्ति का अहसास तुम हो
बिन बुझी सी प्यास तुम हो
मौत का कारण बनोगी
ज़िन्दग़ी की आस तुम हो
तीन
सुख दुख की हर आशा तुम हो
चुंबन की अभिलाषा तुम हो
मौत के आगे जाने क्या हो
जीवन की परिभाषा तुम हो
चार
सपनों का अध्याय तुम्हीं हो
फूलों का पर्याय तुम्हीं हो
एक पंक्ति में अगर कहूँ तो
जीवन का अभिप्राय तुम्हीं हो
२४ जुलाई २००५
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