अनुभूति में विनय कुमार की रचनाएँ—
कविताओं में—
नयी रचनाओं में-
आप चुप क्यों हैं
यादें
लिखना होगा कोई गीत
सिद्धांत
सृजन भ्रम
छंदमुक्त में-
चिठ्ठियाँ
तुम्हारी हँसी
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यादें
चीजें तभी तक सुरक्षित रहती हैं
जब तक हम चाहते हैं
उसे सुरक्षित रखना
पुरानी चिट्ठियाँ
और फोटो के अलबम भी
तभी तक सुरक्षित रहते हैं
जब तक कायम रहती हैं
उनसे जुड़ी यादें
यादों को हमेशा
संवेदना के मुख्य पृष्ठ पर रखना
नहीं होता है संभव
हमारी सोच की जमीन
जब चाँदनी की फुहारों से नहा
शीतल हो जाती है
तो हम चाहते हैं
पकड़ लेना अपनी मुट्ठियो में
चाँद को
उस वक्त वाकई जरूरी हो जाता है
याद रखना
अपने बैंकों के एकाउंट
और बचत की राशि
हम अपने इच्छाओं को पंख बना
जोड़ देते हैं समय के साथ
बनाए रखने के लिए
अपना अस्तित्व समाज में
हमारी यादें
झरनों के सोते की तरह होती हैं
जिससे निकली जलधारा
चट्टानों से टकराते हुए
क्रमशः नीचे आती है
टूट कर छोटी-छोटी बूँदों में
हलाँकि हमारे घर में
अभी भी टँगी है
दादाजी की तस्वीर
जिसके पास जला करती है
कभी-कभी धूपबाती।
१२ मई २०१४
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