अनुभूति में विनय कुमार की रचनाएँ—
कविताओं में—
नयी रचनाओं में-
आप चुप क्यों हैं
यादें
लिखना होगा कोई गीत
सिद्धांत
सृजन भ्रम
छंदमुक्त में-
चिठ्ठियाँ
तुम्हारी हँसी
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सृजन
भ्रम
बुझी-बुझी आँखों
और ऐंठती अँतड़ियों को
जब गटक जाता है
भूख का प्रचंड दानव
तो हमारी बर्फ हो चुकी संवेदना
पिघल-पिघल कर
बिखेरने लगती है
कागज की सुफेद सतह पर
इनकलाबी जुमलों
या कारुणिक हर्फों में
पकी-अधपकी रोटियाँ
भूख की बेकली को
अपने शब्दों में उड़ेलकर
देती है भूख का विकल्प
ऐंठी अँतड़ियों को
इन्द्रधनुष की तरह
सात रंगों में छापकर
आकुल जिह्वा में
भरने के लिए सात व्यंजनों का स्वाद
हम बाँट देते हैं
रोटी का बिम्ब
भूखों के बीच
आखिर कब तक बहलाते रहेंगे
हम दोनों
अपने आपको
१२ मई २०१४
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