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सिद्धान्त
सिद्धान्त अमूमन
बक्से में रखी जाने वाली
कोई किताब होती है
जिसे निकाला जाता है कभी-कभी
दीमकों से बचाने के लिए
यकीनन यह कहा नहीं जा सकता
कि किताबें वहीं रखी जाती हैं
जहाँ से निकाली गई थीं
समय का स्पेस बड़ा घनीभूत होता है
निकालने और रखने के बीच का
हमारी इच्छाओं के पाँव पसारते ही
बक्सा बढ़ा लेता है अपनी चौकसी
रखने के लिए चीजों को सुरक्षित
हमारी सुविधानुसार
सिद्धान्तों का सही उपयोग करना
वे लोग जानते हैं
जिनके पास बक्से होते हैं
पण्डित जी के जन्तर की तरह
इसे भी बचाना पड़ता है
जीवन-काल के कुछ विशेष क्षणों से
बाजारवाद की चूसनी चूसने
या साम्राज्यवाद की गोद में बैठते वक्त
वह बक्सा ही होता है
जो सँभालता है
हमारे सिद्धान्त के मुखौटों को
१२ मई २०१४
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