पृथ्वी के लिए तो
रुको
मैं और पृथ्वी घंटों बातें करते
हैं
समंदर किनारे रेत पर बैठकर
कभी वह गुमसुम हो जाती है
तो कभी आँसू भर आते हैं उसकी आँखों में
मेरी पृथ्वी खारे पानी की मछली है।
करोड़ों दिन-रात लगाकर बनाए गए
उसके पहाड़
चट कर जाते हैं हम चंद ही दिनों में
उसकी दी हुई नदियों को
परनालों में तब्दील कर देखते हैं हम देखते-देखते।
पुराण कथाओं में उसने कभी धरा
होगा गाय का रूप
गई होगी भगवान विष्णु के द्वार
लेकिन वह हमसे तो नहीं कहती
कि समुद्र है उसका वस्त्र
पर्वत स्तनमंडल हैं उसके
विष्णु की पत्नी है वह
इसलिए उस पर पाँव रखने से पहले क्षमा माँगी जाए।
पृथ्वी यह अहसान नहीं जताती
कि उसने ही हमारे दोनों हाथ स्वतन्त्र किए
अपने आँचल से
और हमें बन्दर से आदमी बना दिया
वह यह भी याद नहीं दिलाती
कि कैसे उसने हमारा अंगूठा जुदा किया अँगुलियों से
और हम पेड़ों पर चढ़ना सीख गए।
मैं सफाई-सी देता हूँ-
माता हम नाशुक्री क़ौमें हैं
हम तो उस आदमी तक का शुक्रिया अदा नहीं करते
जिसने हमें शून्य दिया, दशमलव दिया, जलपोत दिया, वायुयान दिया
हम आभारी नहीं हैं उस आदमी के भी
जिसने बल्ब बनाया
छापायंत्र बनाने वाले का हममें से कितनों को अता-पता मालूम है
क्या मायने रखता है इंटरनेट का खोजी हमारे लिए!
पशुओं के धन्यवाद की भली चलाई
हम तो बछड़े के हिस्से का पूरा दूध पी जाने वाली नस्लें हैं
हम डकारते हैं और माहिर हैं पकवानों का कीचड़ बना देने में
हमने दाँतों के बीच फँसा
रखा है तुम्हें सुपारी की तरह
हम चढ़ जाते हैं चाँद पर छुरी-काँटा लेकर
और कहते हैं कि तुम अंडे या टमाटर की तरह ख़ूबसूरत दिखती हो वहाँ
से।
माता, हम वामन से भी बड़े अवतार
हैं
हमने माप लिया है तुम्हें एक ही अंगुल में
और चूस कर फेंक दिया है दशहरी आम की तरह
हम निकालते जा रहे हैं खनिज और तेल
तुम्हारी धमनियाँ काट-काट कर
तमाम नदियों के उद्गम-स्थल मूँद दिए हैं हमने
प्लास्टिक की रंगीन बोतलों से
पहाड़ों की चोटियों पर लहरा रहे हैं हमारे पोलीथीन के सतरंगी झंडे।
लेकिन किसी से नहीं कहती हो तुम
कि पेड़ों पर चला एक कुल्हाड़ा काट डालता है मनुष्यता के पाँव
किसी को चेतावनी भी नहीं देती हो
कि तुमसे बिगाड़ करके नेस्तनाबूद हो गईं
तमाम बलशाली प्रजातियाँ
किसी से आग्रह भी नहीं करती हो
कि तुम्हारे लिए न सही
आने वाली नस्लों के लिए तो रुके मानव जाति।
मैं और पृथ्वी कुछ ऐसी ही बातें
करते हैं इन दिनों
प्रयाग में गंगा किनारे बैठकर
मेरी पृथ्वी मीठे पानी की मछली है।
२९
मार्च २०१० |